कंप्यूटर और हिंदी (भाग - 1)














                                                                        
                                                          


                                                                                      
अनुक्रमणिका
1.   संविधान में राजभाषा
2.         कंप्यूटर                  (क). परिचय.
                                    (ख).     कंप्यूटर का क्रमिक विकास- विभिन्न चरण.
3.    कंप्यूटर की भाषा     (क).  परिचय,
(ख)  बाइनरी संख्याएँ  तथा उनकी  मूल गणितीय प्रक्रियाएँ  लॉजिक गेट.
(ग)  बाइनरी, दशमलव, हेक्सादशमलव,  आदि पद्धतियाँ तथा इनका परस्पर परिवर्तन 
(घ)  बूलियन बीजगणित तथा लॉजिक गेट.     
(च)   मशीन लैंगवेज़, असेंबली लैंगवेज़, हायर लैंगवेज़   
(छ)  भाषाओं का ग्राफिक स्वरूप –ग्राफिक आधारित भाषाएँ.
4.   सॉफ्टवेयर              (क)  परिचय
                                    (ख)  सॉफ्टवेयरों का क्रमिक विकास.
                                    (ग)  सॉफ्टवेयरों का वर्गीकरण.
5. सूचना प्रौद्योगिकी     (क).   सूचना.
                                   (ख).   सूचना का गणितीय स्वरूप
                                                   (ग).   सूचना संचार.
                                                   (घ).   नेटवर्किंग
                                                   ().   प्रोटोकॉल
                                   ()   एड्रेसिंग
                                                   (ज).   सूचना-प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरण
6. फॉंट                         (क).            परिचय, 
                                  (ख).       विभिन्न फोंट्स
                                  (ग)     फोंट्स की कोडिंग, आस्की, इस्की, नॉनयूनीकोड  व यूनीकोड
                                                 (घ)     कुछ प्रमुख हिन्दी फोंट्स
7. कंप्यूटर  पर हिन्दी विकल्प स्थापित करना
                               (क).    एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा
,                                 (ख).    ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर द्वारा     
8.इंटरनेट और हिन्दी      (क).         परिचय, हिन्दी वर्णमाला
                                                            (ख).     इंटरनेट सॉफ्टवेयर
                                    (ग).     लिंक
                                                            (घ).    ब्राउज़िंग
                                                            (च).    डाउनलोडिंग
                                                            (छ).    इंटरनेटसमयमितव्ययिता के सूत्र.
                                                            (ज).    हिन्दी के प्रमुख पोर्टल- वेब साइट,सर्च इंजन, समाचार पत्र, पत्रिका
9.       वेब पब्लिशिंग       (क).  परिचय
                                                 (ख).     इंटरनेट, वर्ड वाइड वेब, वेबपेज, वेबसाइट,
                                                 (ग).     संपर्क उपकरण
                                                 (घ).     प्रकार्यात्मक रख रखाव
10.     ई-मेल              (क).   परिचय
                                                (ख).      हिन्दी में ई-मेल
                                                (ग). हिन्दी ई-मेल सेवा प्रदाता
11.     हिन्दी जनसंचार माध्यमों में सूचना प्रौद्योगिकी  (क).          प्रिंट मीडिया.
                                                                                        (ख). दृश्य श्रव्य मीडिया
                                                                              (ग).           इंटरनेट मीडिया
                                               
                                                                      

भाषा :  अनेक भाषा वैज्ञानिकों ने भाषा की परिभाषाएं दी हैं, किन्तु प्रसिद्ध भाषा विज्ञानी डॉ. भोलानाथ तिवारी की परिभाषा आम तौर पर मान्य समझी जाती है। आपके अनुसार :
“ भाषा, मानव उच्चारण अवयवों से  उच्चारित याददृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की वह संरचनात्मक व्यवस्था है, जिसके द्वारा समाज विशेष के लोग आपस में विचार-विनिमय करते  हैं, लेखक, कवि या वक्ता के रूप में अपने अनुभवों एवं भावों को व्यक्त करते हैं।  तथा अपने वैयक्तिक, और सामाजिक व्यक्तित्व, विशिष्टता तथा अस्मिता के संबंध में जाने-अनजाने जानकारी देते हैं”।  

राजभाषा :   केंद्र सरकार तथा उसके अधीनस्थ सभी उपक्रम, बैंक संस्थान आदि जिस भाषा में कामकाज निपटाते हैं, उसे राजभाषा कहा जाता है।
संविधान में राजभाषा :  15 अगस्त सन 1947 को जब हम स्वतंत्र हुए तो देश की राजभाषा अंग्रेजी थी. किन्तु अंग्रेजी विदेशी शासकों की भाषा थी और भारत की लगभग 99.99% जनता इसे नहीं समझती थी.
अत: हमारे राष्ट्रनिर्माताओं ने अनुभव किया कि जितनी जल्दी हो सके देश की एक सर्वसम्मत राष्ट्रभाषा पर निर्णय लिया जाए।
अनेक सुझाव आने लगे। किसी का सुझाव था कि लिपि तो रोमन ही रहे किन्तु भाषा हिन्दी हो। दूसरा सुझाव था- अंग्रेजी को ही राष्ट्रभाषा तथा राजभाषा रहने दिया जाय। तीसरा सुझाव था कि बांग्ला को राजभाषा का दर्जा मिले। चौथा सुझाव था कि दक्षिण भारत की ही किसी भाषा को राजभाषा बनाया जाय।
अंतत: सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि हिन्दी स्वतंत्र राष्ट्र की राजभाषा होगी। साथ ही अंग्रेजी भी सहायक राजभाषा के रूप मे पंद्रह वर्ष तक जारी रहेगी।  
इस आशय का प्रस्ताव संसद मे चूंकि 14 सितंबर सन 1949 को पास हुआ था अत: इस तिथि को राजभाषा दिवस के रूप मे मनाया जाने लगा।
26 जनवरी सन 1950 को भारतीय गणतन्त्र  का नया संविधान लागू हुआ। इस संविधान के अध्याय 17 मे भारत संघ की राजभाषा के बारे मे स्पष्ट उल्लेख किया गया। यह उल्लेख इस प्रकार है :
   संघ की भाषा :    अनुच्छेद 120. संसद् में प्रयोग की जाने वाली भाषा
(1)                           भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किंतु अनुच्छेद 348 के  उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद् में कार्य हिंदी में
या अंग्रेजी में किया जाएगा  परंतु, यथास्थिति, राज्य सभा का सभापति या लोक सभा का अध्यक्ष अथवा उस रूप में कार्य करने
 वाला व्यक्ति किसी सदस्य को,जो हिंदी में या अंग्रेजी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृ-भाषा में सदन
 को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा ।
(2)       (2) जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात्‌
(3)       यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो   “या अंग्रेजी में”  शब्दों का उसमें से लोप कर दिया  गया हो ।
अनुच्छेद 210: विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा - (1) भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किंतु अनुच्छेद 348
 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिंदी  में या अंग्रेजी में
 किया जाएगा परंतु, यथास्थिति, विधान सभा का अध्यक्ष या विधान परिषद् का सभापति अथवा उस रूप में कार्य करने वाला
व्यक्ति किसी सदस्य को, जो पूर्वोक्त भाषाओं में से किसी भाषा में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृभाषा
 में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा ।
(2)  जब तक राज्य का विधान-मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की
अवधि की समाप्ति के पश्चात्‌ यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो  “ या अंग्रेजी में ”  शब्दों का उसमें से लोप कर दिया गया हो :
परंतु हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के विधान-मंडलों के संबंध में, यह खंड इस प्रकार प्रभावी होगा
मानो इसमें आने वाले पंद्रह वर्षशब्दों के स्थान पर  “पच्चीस वर्ष”  शब्द रख दिए गए हों : परंतु यह और कि  
अरूणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम राज्यों के विधान-मंडलों के संबंध में यह खंड इस प्रकार प्रभावी होगा मानो इसमें
आने वाले पंद्रह वर्ष शब्दों के स्थान पर चालीस  वर्ष शब्द रख दिए गए हों ।
अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा--
(1)  संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप
भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
(2)  खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों
 के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था :
परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त
हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
(3) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद् उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात्‌, विधि द्वारा
(क) अंग्रेजी भाषा का, या
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं।
अनुच्छेद 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति—
(1)         राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात्‌ ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश
 द्वारा,एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने
 वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली
प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी।
(2) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को—
(क) संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग,
(ख) संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्बंधनों,
(ग) अनुच्छेद 348 में उल्लिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा,
(घ) संघ के किसी एक या अधिक विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले अंकों के रूप,
(ड़) संघ की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके
प्रयोग के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किए गए किसी अन्य विषय, के बारे में सिफारिश करे।
(3)  (3) खंड (2) के अधीन अपनी सिफारिशें करने में, आयोग भारत की औद्योगिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उन्नति का और
 लोक सेवाओं के संबंध में अहिंदी भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का सम्यक ध्यान रखेगा।
(4)  (4) एक समिति गठित की जाएगी जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे और दस
 राज्य सभा के सदस्य होंगे जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व
पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।
(5) समिति का यह कर्तव्य होगा कि वह खंड (1)के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों की परीक्षा करे और राष्ट्रपति को उन पर
अपनी राय के बारे में प्रतिवेदन दे।
(6)  अनुच्छेद 343 में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति खंड (5) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात्‌ उस संपूर्ण
प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश दे सकेगा
अनुच्छेद 345. राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं—
अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, उस राज्य में प्रयोग
 होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिंदी को उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए
प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगाः
परंतु जब तक राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, अन्यथा उपबंध न करे तब तक राज्य के भीतर उन शासकीय प्रयोजनों के लिए
अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था।
अनुच्छेद 346. एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा—
संघ में शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने के लिए तत्समय प्राधिकृत भाषा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच तथा किसी
राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा होगी : परंतु यदि दो या अधिक राज्य यह करार करते हैं कि उन राज्यों के बीच पत्रादि की राजभाषा हिंदी भाषा होगी तो ऐसे पत्रादि के लिए उस भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा।
अनुच्छेद 347. किसी राज्य की जनसंख्या के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध—
यदि इस निमित्त मांग किए जाने पर राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि किसी राज्य की जनसंख्या का पर्याप्त भाग यह
 चाहता है कि उसके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता दी जाए तो वह निदेश दे सकेगा कि ऐसी भाषा को भी
उस राज्य में सर्वत्र या उसके किसी भाग में ऐसे प्रयोजन के लिए, जो वह विनिर्दिष्ट करे, शासकीय मान्यता दी जाए।
अनुच्छेद 348. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा—
(1) इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा
उपबंध न करे तब तक—
(क) उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी भाषा में होंगी,
(ख) (i) संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन में पुरःस्थापित किए जाने वाले सभी
 विधेयकों या प्रस्तावित किए जाने वाले उनके संशोधनों के,
(ii) संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा पारित सभी अधिनियमों के और राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा
 प्रख्यापित सभी अध्यादेशों के ,और
(iii) इस संविधान के अधीन अथवा संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन निकाले गए या
बनाए गए सभी आदेशों, नियमों, विनियमों और उपविधियों के, प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे।         
(2) खंड(1) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस उच्च न्यायालय
की कार्यवाहियों में, जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है, हिन्दी भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने
 वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगाः
परंतु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश को लागू नहीं होगी।
खंड (1) के उपखंड (ख) में किसी बात के होते हुए भी, जहां किसी राज्य के विधान-मंडल ने,उस विधान-मंडल में पुरःस्थापित
 विधेयकों या उसके द्वारा पारित अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में अथवा उस उपखंड के
पैरा (iv‌) में निर्दिष्ट किसी आदेश, नियम, विनियम या उपविधि में प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा से भिन्न कोई भाषा विहित की है
वहां उस राज्य के राजपत्र में उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से प्रकाशित अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद इस अनुच्छेद के
अधीन उसका अंग्रेजी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।
अनुच्छेद 349. भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया—
इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि के दौरान, अनुच्छेद 348 के खंड (1) में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग की
जाने वाली भाषा के लिए उपबंध करने वाला कोई विधेयक या संशोधन संसद के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना
पुरःस्थापित या प्रस्तावित नहीं किया जाएगा और राष्ट्रपति किसी ऐसे विधेयक को पुरःस्थापित या किसी ऐसे संशोधन को
प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों पर और उस अनुच्छेद के
खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात्‌ ही देगा, अन्यथा नहीं।
अनुच्छेद 350. व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा—
प्रत्येक व्यक्ति किसी व्यथा के निवारण के लिए संघ या राज्य के किसी अधिकारी या प्राधिकारी को, यथास्थिति, संघ में या राज्य में प्रयोग होने वाली किसी भाषा में अभ्यावेदन देने का हकदार होगा।
अनुच्छेद 350 क. प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं--
प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर
 मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा और राष्ट्रपति किसी राज्य को ऐसे निदेश दे सकेगा
जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबंध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक या उचित समझता है।
अनुच्छेद 350 ख. भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए विशेष अधिकारी--
(1) भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए एक विशेष अधिकारी होगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा।
(2) विशेष अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह इस संविधान के अधीन भाषाई अल्पसंख्यक-वर्गों के लिए उपबंधित रक्षोपायों
से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करे और उन विषयों के संबंध में ऐसे अंतरालों पर जो राष्ट्रपति निर्दिष्ट करे,
राष्ट्रपति को प्रतिवेदन दे और राष्ट्रपति ऐसे सभी प्रतिवेदनों को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा और संबंधित राज्यों की
सरकारों को भिजवाएगा ।
अनुच्छेद 351. हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश--
संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी
तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्थानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट
भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके
शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।




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      संघ में सेवारत कार्मिक का कर्तव्य :

         संघ शासित कार्यालय के प्रत्येक कार्मिक का यह प्राथमिक कर्तव्य है कि वह कार्यालयीन दायित्वों का निर्वाह राजभाषा हिन्दी में करे.
         हिन्दी में सभी भाषाओं के प्रचलित शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है.


पहले कार्यालयों मे अधिकतर काम या तो हाथ , या फिर टाइपराइटरों के द्वारा होता था. शुरू में टाइपराइटर केवल अंग्रेजी में ही उपलब्ध थे, किंतु आजादी के बाद जब हिन्दी राजभाषा बनी तो हिन्दी के टाइप राइटर भी बाजार मे आ गए. बीसवीं शताब्दी के  पांचवें तथा छठे दशकों में हिन्दी टाइपराइटरों ने राजभाषा को आगे बढ़ाया.
सातवें दशक में सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ टाइपराइटरों की जगह डेस्कटॉप कंप्यूटरों ने ले ली. 
सातवें दशक से लेकर आज तक कंप्यूटर तकनीकी का लगातार विकास होता जा रहा है.
आइये- कंप्यूटर पर विस्तार से चर्चा करें.



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डॉ. दिनेश चंद्र थपलियाल

I like to write on cultural, social and literary issues.
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