युद्ध
होता है इसलिए कि
हम
हट गए हैं –
'जीओ और जीने दो' के वादे से।
'जीओ और जीने दो' के वादे से।
हम
जीना तो चाहते हैं, किंतु
जीने
नहीं देना चाहते ।
मानव
के क्रमिक विकास की यात्रा में
जब
कबीले थे, तब कबीलों के लिए,
गांव
बने, तो गांवों, जमीन जानवरों के लिए,
नगर
बने, तो व्यापार, सड़कों, नदियों पर कब्जे के लिए,
और
आज जब देश बने हैं तो अमीर देश अपनी निखट्टू जनता की विलासिता के लिए
करते
हैं युद्ध.
छीनते
हैं जीने का अधिकार उन लोगों से, जो लड़ना नहीं चाहते.
जो
मानते हैं कि चाहे अमीर हो या गरीब,
जीने
का हक सभी को है
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