शेरवानियां
श्रीफल, अचकन, हर साइज़ के
। शॉल मोमेंटो तकिये, मनसद हर टाइप के ॥
शाही और
नवाबी बेहतरीन पगड़ियां । कुरसी, माइक, तम्बू , पानदान और
दरियां ॥ 1
ये सारा
सामान एक दम नया लिया है । फिर भी अपने यहां किराए पर मिलता है ।।
अगर मान लो
खत्म हो गया हो स्टॉक तो। ऑर्डर देकर हम फौरन बनवा देते हैं ॥ 2
कविता, भाषण, शादी के
विज्ञापन हों । लेख, कहानी, आत्मकथा या शोधग्रंथ हों ॥
‘खोया-पाया’ और ‘उठालों’ के मेसेज भी
। बेहद घटी दरों पर हम लिखवा देते हैं ।। 3
घिसे हुए कवियों की भारी फौज हमारी । पलक झपकते ही कविता रच
देती है ।।
जूते, चप्पल, पत्थर, ठंडे की बोतल से । सड़े- गले अंडों, टमाटरों की बारिश से ॥ 4
कवि-समाज का
बहुत पुराना याराना है । इनसे शायर का हुनर डिसाइड होता है ॥
ऐसी कातिल
बारिश से बचने की खातिर । हमने लोहे के कनटोप निकाले हैं ॥ 5
पत्थर है क्या चीज़, गोलियां, सुतली बम भी । हो जाते बेअसर हमारे कनटोपों से ॥
अगर किसी
शायर के सिर पर गलती से । बचा रह गया हो कोई एकाध बाल भी ॥ 6
इन कनटोपों को
सिर पर धारण करते ही । नहीं बाल का होगा बांका है गारंटी ॥
कई बार चलते
मुशायरे से कवियों को । सिर पर रख कर पैर भागना पड़ जाता है ॥ 7
सही सलामत
निकल भागने के खयाल से । हम लाए हैं खास तरह की गज़ब जूतियां ॥
इन्हें पहन
कर सड़क, गली-कूचे, खेतों से । सरपट दौड़ लगाकर
जान बचा सकते हैं ॥ 8
पैर भले ही
टूट जांय शायर के लेकिन । तब भी जुदा नहीं होती जांबाज जूतियां ॥
हम हिंदी
दिवसों के ठेके भी लेते हैं । शक्ल देख कर इन ठेकों के रेट लिये जाते हैं ॥ 9
जेब भरी हो या हो बिल्कुल खाली । बिना मुशायरा
किये न खाना पचता हो तो ॥
हम उधार करके भी उद्धार किया करते
हैं । एक बार हमको भी अजमा कर देखें ॥ 10
अगले हफ्ते यह दुकान खाली होनी है ।
मुलाकात भी नहीं पता फिर कब होनी है ॥
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें